कवि- शिव शंकर पाठक
(Sheo Shankar Pathak) शिक्षक और कवि शिव शंकर पाठक द्वारा रचित यह सुंदर काव्य “प्रकृति की सुंदरता है बहुत निराली”। कवि शिव शंकर पाठक स्व शारदानंद पाठक के पुत्र हैं और वरिष्ठ पद्म भूषण सम्मानित कवि जानकी वल्लभ शास्त्री के परिवार से आते हैं।
-: सीखना :-
फूलों से तुम हंसना सीखो,
कोयल से सीखो गाना।
नदियों से तुम बहना सीखो,
महापुरुषों से सीखो जाना।
सूरज सा चमकना सीखो,
चाँद से सीखो दमकना।
शेर सा दहाड़ना सीखो,
पंछियों से सीखो चहचहाना।
वीरों से तुम मरना सीखो,
चिटियों से सीखो मेहनत करना।
कागज संग तुम लड़ना सीखो,
मत सीखो तुम डरना।
कुम्हार से तुम गढ़ना सीखो,
पुस्तक से सीखो पढ़ना ।
वक्त की चाल से सीखो,
सीखो, हमेशा आगे बढ़ना।
